मुंशी प्रेमचन्द
लेखक
मुंशी प्रेमचन्द (जन्म– 31 जुलाई 1880, निधन– 8 अक्टूबर 1936) हिन्दी और उर्दू साहित्य के अमर कथाकार एवं उपन्यासकार थे। उन्हें “उपन्यास सम्राट” कहा जाता है। उनकी लेखनी में भारतीय समाज का यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं की गहरी छाप मिलती है। प्रेमचन्द ने अपने उपन्यासों और कहानियों में किसानों की दयनीय स्थिति, समाज में व्याप्त अन्याय, गरीबी, शोषण तथा स्त्रियों की प ीड़ा को सजीव रूप से चित्रित किया।
उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध हैं, बल्कि सामाजिक चेतना जगाने वाली भी हैं। गोदान, गबन, सेवा सदन, रंगभूमि, कर्मभूमि जैसे उपन्यास तथा कफ़न, पूस की रात, दो बैलों की कथा जैसी कहानियाँ आज भी पाठकों के हृदय को गहराई से स्पर्श करती हैं। सरल, सजीव और प्रभावशाली भाषा में लिखे गए उनके साहित्य ने हिन्दी को नई दिशा दी और साहित्य को समाज का दर्पण बना दिया।
प्रेमचन्द का साहित्य मानवीय मूल्यों, न्याय और समानता की पुकार है, जो उन्हें कालजयी बनाता है।
रचनाएँ
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सुहाग की साड़ी |रचना - मुंशी प्रेमचंद | स्वर - मधु शर्मा - https://youtu.be/aN4nLlJ-EL8




